दरपं है, समाज का तडपं है
नियति ने परखा है
जमाने ने जकड़ा है
फिर भी, उड़ने की हिम्मत की इसने
लोगों को मुह -तोड़ जवाब दिया
लगा ऐसा ध्रुव तारा हाथ इसके
जर्र -जर्र पुरातन मे, नवंता भर दिया
हाँ वो और कुछ नही,
साहस है, विश्वास है, और कुछ टीचर भी आत्मसात है!
by Jyoti Jha
Karm Fellow – Batch of 2023